भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना ..
भैया मेरे छोटी बहन को न भुलाना।
ये दिन ये त्यौहार ख़ुशी का ,
पावन जैसे नीर नदी का,
भाई के उजले माथे पे ,
बहन लगाये मंगल टीका ,
झूमे ये सावन सुहाना।
रक्षा बंधन के त्यौहार आते ही ये गाना लबों पे होता था , बचपन से ही मां से सुनती आई थी सुबह होते ही एक उत्साह होता था , तीन दिन पहले ही राखी खरीद लेती थी। मन में आता था सबसे सुंदर राखी सजे मेरे भाइयों की कलाई पे। नए कपडे पहनने का उत्साह, और जब कभी नए कपडे नहीं मिलते तो माँ का मजबूरी को इस तरह से समझाना कि पुराने कपड़ों में भी इतराना, सब कुछ आनंदित करता था .......पिताजी बेनीराम की प्रसिद्ध इमरती लाकर सुबह ही रख देते थे ,माता पिता के आशीर्वाद के बीच रक्षा बंधन संपन्न हो जाता था ....फिर बारी थी उपहार की .......पूछने पर कि " क्या चाहिए राखी के बदले ?'निस्वार्थ तो नहीं था, पर स्वार्थ भी कैसा था सोच के गुदगुदी होती है. मासूमियत भरा जवाब होता था ...". नमकीन काजू बेनीराम वाला और जयराम का समोसा... "एक तरफ समोसे काजू में हम व्यस्त ,तो दूसरी तरफ मिठाई खाने की होड़ दोनों भाइयों के बीच ...कोई किसी से कम नहीं।......अद्भुत नज़ारा होता था।...एक राखी पर एक ज़िद और बढ़ गयी .फोटो भी खिचवाना था।......रिमझिम फुहारों के बीच उर्मी स्टूडियो की ये फोटो है उन पलों की।.....
अब...........
कल फिर रक्षा बंधन है..... ये गीत प्रासंगिक है और दिल गुनगुनाता भी है।
.चंदा रे, मेरे भैया से कहना ,
बहना याद करे .....
अभी बहन पराये देश बसी है....एक साल पहले तक पोस्ट से ख़त के साथ राखी भेज देते थे, इस उम्मीद से की राखी से पहले मिल जाये ..पर डाक व्यवस्था व्यस्तता ,कभी कभी मिली कभी नहीं। मगर अब नेट है..राखी मिले या नहीं ECARD FACEBOOK की वाल पे ज़रूर हाजिरी देता है .......साथ में YOU TUBE के गानेजैसे .......इसके साथ ही बहन के पास एक चेक जरूर आ जाता है... ......
खैर ,मेरा ये मतलब नहीं कि आजकल रिश्ते बदल गए हैं ...मेरे उद्देश्य सिर्फ अतीत की एक झलक प्रस्तुत करना है जिससे हमारी भावी पीढ़ी आनंद ले सके ,साथ ही हम आज की इस तकनीकी युग के माध्यम से नयी पीढ़ी से जुड़ सकें क्योंकि .......
परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है इसे अंगीकार करना हमारा फ़र्ज़ है.......
आइये , इस पवन पर्व पर अपने भाइयों के लिए मंगल कामना करे,क्योंकिआपभी तो सहमत होंगे निम्न पंक्तियों से ........
मेरे भैया मेरे चंदा ,मेरे अनमोल रतन ,
तेरे बदले में ज़माने की कोई चीज न लूँ ....
Happy Raksha Bandhan!!!!!!!!!!!!!!!!!!
...
भैया मेरे छोटी बहन को न भुलाना।
ये दिन ये त्यौहार ख़ुशी का ,
पावन जैसे नीर नदी का,
भाई के उजले माथे पे ,
बहन लगाये मंगल टीका ,
झूमे ये सावन सुहाना।
अब...........
कल फिर रक्षा बंधन है..... ये गीत प्रासंगिक है और दिल गुनगुनाता भी है।
.चंदा रे, मेरे भैया से कहना ,
बहना याद करे .....
अभी बहन पराये देश बसी है....एक साल पहले तक पोस्ट से ख़त के साथ राखी भेज देते थे, इस उम्मीद से की राखी से पहले मिल जाये ..पर डाक व्यवस्था व्यस्तता ,कभी कभी मिली कभी नहीं। मगर अब नेट है..राखी मिले या नहीं ECARD FACEBOOK की वाल पे ज़रूर हाजिरी देता है .......साथ में YOU TUBE के गानेजैसे .......इसके साथ ही बहन के पास एक चेक जरूर आ जाता है... ......
खैर ,मेरा ये मतलब नहीं कि आजकल रिश्ते बदल गए हैं ...मेरे उद्देश्य सिर्फ अतीत की एक झलक प्रस्तुत करना है जिससे हमारी भावी पीढ़ी आनंद ले सके ,साथ ही हम आज की इस तकनीकी युग के माध्यम से नयी पीढ़ी से जुड़ सकें क्योंकि .......
परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है इसे अंगीकार करना हमारा फ़र्ज़ है.......
आइये , इस पवन पर्व पर अपने भाइयों के लिए मंगल कामना करे,क्योंकिआपभी तो सहमत होंगे निम्न पंक्तियों से ........
मेरे भैया मेरे चंदा ,मेरे अनमोल रतन ,
तेरे बदले में ज़माने की कोई चीज न लूँ ....
Happy Raksha Bandhan!!!!!!!!!!!!!!!!!!
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