अगर आप सच में International Women day 's के अवसर पर हम नारी वर्ग को सम्मान देना चाहते हैं तो सिर्फ कुछ वचन दे दीजिये ..
- परिवार मेंसबसे अधिक महत्वशिक्षा का है ,एक नारी के शिक्षित होने से एक स्वस्थ समाज की रचना होती है अतः हर एक पुरुष सिर्फ अपने परिवार की हर नारी को शिक्षित होने में साथ दे .लड़के लड़कियों के शिक्षा में भेदभाव न करे.
- दहेज़ जैसी कुप्रथा का साथ बिलकुल न दे ..मानते हैं दहेज़ से व्यक्ति सामाजिक स्तर का पता चलता है और उसकी नाक ऊँची होती है,तो क्यों न दोनों पक्ष मिलकर नाक ऊँची करे, या फिर व्यर्थ के दिखावे से बचे.
- बाल विवाह का भरसक विरोध करे . जिस उम्र में लड़कियों को विवाह का मतलब नहीं पता ऐसे मे अनचाहे रिश्ते में उन्हें बांध देना क्या सही है? सोचिये जरा!!.
- अपने बच्चों में चाहे लड़का हो या लड़की सही संस्कार विकसित करे ,सिर्फ सुविधाए देना की आपका उत्तरदायित्व नहीं ..
- आज बेमेल विवाह जैसी प्रथाए समाज के लिए अभिशाप हैं! अपने से पिता जैसी उम्र के इंसान से शादी उनके सारे सपनो को हिला कर रख देती है.
.महिलाओं के सम्मान और गौरव को समर्पित यह दिवस जब भी आता है मुझे लगता है हम एक कदम आगे बढ़कर दो कदम पीछे चल रहे हैं। दिन की महत्ता से इंकार नहीं मगर उलझन तब होती है जब उपलब्धियों की रोशन चकाचौंध में कहीं कोई स्याह सच कराहता नजर आता है और एक कड़वाहट गले तक आ जाती है। फिर अचानक घनघोर अंधेरे के बीच भी दूर कहीं आशा की टिमटिमाती रोशनी दिखाई पड़ जाती है और मन फिर उजले कल के अच्छे सपने देखने लगता है।
कल (7th march 2013) सब टीवी पर महिलाओं के सम्मान देने का एक प्रयास था ...जिसने मुझे प्रभावित किया जो काल्पनिक बिलकुल नहीं था .
एक सलाम सब टीवी के इस प्रयास को ..
अंत में...
उठ जा हो जा तैयार
जग से लोहा ले एक बार
तेरे बुलंद हौसले से होगी
तेरी विजय हर बार ...........................
अंत में...
उठ जा हो जा तैयार
जग से लोहा ले एक बार
तेरे बुलंद हौसले से होगी
तेरी विजय हर बार ...........................
No comments:
Post a Comment