जिंदगी के अलग-अलग मोड़ों पर पिता का रूप और अर्थ अलग-अलग लगता है, लेकिन जब हम सबको जोड़ कर देखते हैं तो पिता खुद के अंदर इटर्नलिटी (शाश्वतता) का विस्तार हैं. आज फिर बचपन की यादें हिलोरे मार रही है ,,पिताजी का सुबह सुबह वो उठाने का अनूठा ही तरीका होता था ..प्रातः उठते ही रामायण की चौपाई सस्वर गायन,या संस्कृत के श्लोकों के जरिये हम भाई बहन को उठाते थे .
समुद्रवसने देवी पर्वतस्तनमंडले |विष्णुपत्नी नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्वमे ||
अगर मां लोरी सुना के सुलाती तो पिता रामायणं या श्लोकों के जरिये उठाते थे .उस समय जाड़े की सुबह धूप में पानी गरम होता था फिर उस गरम पानी से हम भाई बहन को नहलाना पिता का काम होता था ,और हम सबका टिफ़िन तैयार करना मां की ज़िम्मेदारी थी.फिर गोद में उठा के बस में बैठाना और छुट्टी के दिनों में पढ़ना कितना सुखद अब लगता है पर उस समय जान बचा के भागना कितना मज़ा देता था।। रविवार को प्रकृति के सानिध्य में घुमाने ले जातेथे। जौनपुर के नए पुल का निर्माण चल रहा था कौतूहल में छोटी छोटी बाते पूछना या फिर रोलर पे घूमना और गोमती नदी मैं नौका विहार का आनंद पिता के सानिध्य में होता था ..ओम व्यास की एक कविता का शीर्षक बहुत सटीक जान पड़ता था "पिता हैं तो सारे बाज़ार के खिलौने हैं अपने "....आज भी याद आते है वो दिन जब निराश का बीज मन में पैदा होता था तो पिताजी हौसले चारो तरफ कवच का काम करते थे ..मां की कहानियाँ अगर एक तरफ सुनते थे तो पिताजी द्वारा मंगाई गयी गीताप्रेस पब्लिकेशन की बाल रामायण की पंक्तियाँ .."नृप दशरथ की गोदी राम ,कौशल्या के भरत ललाम ; गोद सुमित्रा लक्ष्मण लाल ,शत्रुशमन कैकेयी निहाल ;"भी उतनी ही प्रेरणादायक रही है। "योगानंद की आत्मकथा पढने की रूचि जागृत हुई पिताजी की प्रेरणा से ,पंचतंत्र की कहानियों का महत्व पिताजी ने समझाया कुछ सामयिक राजनेताओं के भाषण भी सुनाने ले जाते थे। अटल जी,राजीव गाँधी,इंदिरा जी और संजय गाँधी इत्यादि ..
न जाने कब युवावस्था आई सब कुछ पीछे रह गए .. और समाज के नियमों ने पिता और बेटी को अहसास कराया समाज का फ़र्ज़ भी तो निभाना है। और फिर एहसास होता ....
.प्रेमान्ध पिता
घरोंदे बनाता है
अपने सारे सपने
बेटी में ही पाता है
पर बेटी के ब्याह पर
बिल्कुल अकेला रह जाता है
पिता और पुत्री का
एक अनोखा ही नाता है ..
पापा, आपसे ऋणमुक्त होने का सवाल ही नहीं उठता ,हाँ पर काश कुछ सानिध्य मिल जाता...ईश्वर से दुआ है कि ..आपको स्वस्थ एवं दीर्घायु रखे और हमारी छत सलामत और मजबूत रहे !!!!
ज़िन्दगी के घने इस बियावान में
जिसका आशीष हमको दिशायें बना
जिसके अनुराग के सूर्य ने पी लिया
राह के मोड़ पर छाया कोहरा घना
सॄष्टिकारक रहे दाहिने जो सदा
आज स्वीकार कर लें हमारा नमन
आपका स्नेह मिलता रहे हर निमिष
आज के दिन यही हम करें कामना !!
जिसका आशीष हमको दिशायें बना
जिसके अनुराग के सूर्य ने पी लिया
राह के मोड़ पर छाया कोहरा घना
सॄष्टिकारक रहे दाहिने जो सदा
आज स्वीकार कर लें हमारा नमन
आपका स्नेह मिलता रहे हर निमिष
आज के दिन यही हम करें कामना !!
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