Thursday, July 28, 2011

ख़ुशी .........

 पाने के लिए ख़ुशी ज़रूरी नहीं की ,
हो हम मोहताज दूसरों के ;
दे ही कहाँ सकते हैं दूसरे,
हमे कहाँ ख़ुशी..........
ख़ुशी तो छिपी होती है हमारे अंदर ही ;
वैसे ही ,
जैसे बारिश बादलों में,
नहीं ज्यादा मुश्किल ,
ढूढना ख़ुशी को,
करना होता है इसके लिए 
बस यह 
तलाशनी होती है
हर छोटी छोटी चीज़ में,
ख़ुशी,
देखना होता है 
हर चीज़ का उजला पक्ष
समझना होता है
दूसरों के ज़ज्बात को|                               
फिर उसके बाद होते हैं 
हम सरोबार ,
इतनी खुशियों से 
संभाली नहीं जाती जो हमसे.............



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