Sunday, August 26, 2012

A Beautiful Morning Message....


 Once A Boy Went To A Shop With His Mother.

The Shop Keeper Looked At The Small Cute Child And Showed Him A Bottle With Sweets
And Said

" Dear Child..... You Can Take The Sweets...

But The Child Didn't Take.  The Shop Keeper Was Surprised..
Such A Small Child He is And Why is He Not Taking The Sweets From The Bottle.

Again He Said Take The Sweets.... Now The Mother Also Heard That And Said..

Take The Sweets Dear..

Yet He Didn't Take...

The Shopkeeper Seeing The Child Not Taking The Sweets...
He Himself Took The Sweets And Gave To The Child.

The Child Was Happy To Get Two Hands Full Of Sweets...... ......

While Returning Home The Mother Asked The child... 
Why Didn't You Take The Sweets,  when The Shop Keeper Told You To Take?..

Child Replied...

Mom! My Hands Are Very Small And If I Take The Sweets I Can Only Take Few..
But Now You See When Uncle Gave With His Big Hands....
How Many More Sweets I Got!


Moral:- 
When We Take We May Get Little But When God Gives...
He Gives Us More Beyond Our Expectations. ..
More Than What We Can Hold..!!!!!! !!!




Wednesday, August 15, 2012

स्वतंत्रता दिवस तब .........और अब........



"जहाँ  डाल डाल पर सोने की चिड़िया करती हैं बसेरा ,
वो भारत देश है मेरा !!!!!!!!"
स्कूलों  में तब ऐसे ही गाने गूंजते थे ,तैयारियां तो तब भी होती थी तिरंगा बनाओ प्रतियोगिता, या फैंसी  ड्रेस प्रतियोगिता और सेनिओर कक्षाओं  में भाषण प्रतियोगिताये आयोजी की जाती थी .....
सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत प्रद्व्शों के लोक गीत या देशभक्ति गीत अभिनीत किये जाते थे..याद आता है जनक कुमारी बाल शिक्षा निकेतन का एक प्रोग्राम जिसमे गाने लिकेह थे प्रिंसिपल ने खुद और गया था अध्यापिकाओं ने तथा अभिनीत किया था बच्चों ने ........प्रदेशों का परिचय दिया गया था सरल भाषा मे., कुछ आज भी याद है जैसे .

संसार में जिस रूप में भारत का देश है ,
भारत का ह्रदय प्यारा उत्तरप्रदेश है|

वीरों की ये जन्मभूमि है प्यारा  राजस्थान है ,
जिन वीरों ने देश की खातिर दे दी अपनी जान है |

भारत का सिरमौर सुघर कश्मीर हमारा ,
धरती का ये स्वर्ग मनोहर सबसे न्यारा |

एन. सी. सी. कैडेट्स  की रैली  शहर में निकलती थी .........काफी उत्साह होता था स्कूल जाने का क्योंकि बैग नहीं ले जाना होता था और जल्दी छुट्टी होती थी साथ ही लड्डू भी मिलता था ..
अब.......
आज १५ अगस्त नयी और आधुनिक तकनीक के साथ मनाया जाता है..आज बदलाव स्चूलों में भी है बच्चों की भावनाओं में भी है.एआर . रहमान के गानों पर या आधुनिक धुनों पर स्टेज कार्यक्रम होतें हैं. हाँ एक अंतर महसूस होता है.|
आज बहुत सारी सुविधाएँ हैं बच्चे भी काफी प्रतिभावान है पर कभी कभी महसूस होता है यांत्रिक ज्यादा हो गए हैं जिसके फलस्वरूप भावनाएं दब गयी हैं..इन्टरनेट पे जानकारी तो सब कुछ उपलब्ध है पर माता पिता या बड़ों से वो सवाल पूछने का जो आनंद था वो आनंद नहीं उठा पाते| बदलाव जो आ रहा है.उसका असर उनकी निराशावादी विचारधारा में दीखता है भारत में उने भविष्य कम दीखता है 
आज आतंकवाद, भ्रष्टाचार  महंगाई से देश जूझ रहा है ऐसे में भावी पीढ़ी का मार्गदर्शन करना वर्तमान पीढ़ी का कर्त्तव्य है.,जिसे अनदेखा  नहीं किया जा सकता .....जय हिंद !

आजाद की कभी शाम नहीं होने देंगें;
शहीदों की कुर्बानी बदनाम नहीं होने देंगें;
बची हो जो एक बूंद भी गरम लहू की;
तब तक भारत माता का आँचल नीलाम नहीं होने देंगें!
स्वतंत्रता दिवस की सभी को बधाई!




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Tuesday, August 14, 2012

A Glimpse of First independence...

Indian flag replaced British flag on August 15, 1947 as India got independence.




Mountbatten swears Jawaharlal Nehru  as Prime Minister of India on August 15, 1947.





Mountbatten arrives at Delhi airport, he was received by Nehru and Liaquat Ali on March 25, 1947.







After swearing in as the first Prime Minister of India, Jawaharlal Nehru gives his first speech holding an Indian flag on August 15, 1947.







Nehru along with Mountbatten on the first 
Independence Day in Delhi on August 15, 1947.




 




At the stroke of midnight on August 14, 1947, Jawaharlal Nehru addressed the new nation through his speech ‘Tryst with Destiny’..........
"Long years ago, we made a tryst with destiny, and now the time comes when we shall redeem
our pledge, not wholly or in full measure, but very substantially. At the stroke of the midnight
hour, when the world sleeps, India will awake to life and freedom. A moment comes, which
comes but rarely in history, when we step out from the old to the new, when an age ends, and
when the soul of a nation, long suppressed, finds utterance. It is fitting that at this solemn
moment we take the pledge of dedication to the service of India and her people and to the still
larger cause of humanity."


Na sar jhuka hai kabhi
aur na jhukayenge Kabhi,
jo apne dum pe jiyen sach me zindagi hai wahi.
Live like a true INDIAN.
HAPPY INDEPENDENCE DAY!!!!!!!!!







Friday, August 10, 2012

जन्माष्टमी तब और अब .......

श्री राधे गोविंदा मन भज ले हरि  का प्यारा नाम है ......हरी ॐशरणजी के भजन से बहुत लगावथा जन्माष्टमी के 4-5 दिन पहले ही तैयारियां करना शुरू करदेते थे .......कृष्णजी जी  की तस्वीर के लिए गीताप्रेस गोरखपुर की प्रकाशित मैगजीन कल्याण से मदद ली  जाती थी,ढेर सारे गत्ते इकट्ठे करते थे ,लकड़ी का बुरादा जुटाना ,फिर छोटे छोटे खिलोने संग्रह करना इत्यादि ........काफी उत्साह होता था .....हम लोगो का साथ देने के लिए शमशाद भी तो था ...जिसे कृष्ण के बारे जानकारी ज्यादा नहीं थी ..शमशाद के पिता जी का स्वर्गवास हो गया था..अपने परिवार का गुजरा उसी की तनख्वाह से होता था ४-भाई बहन थे.,विधवा मां थी ...पिताजी को व्यवसाय में मदद करता था उम्र थी करीब १२-१३ साल ..घर के सदस्य जैसा हो गया था...उसको भी सब पता था किस सामन का कहाँ और कैसे झांकी में इस्तेमाल करना है ..बुरादा सड़क बनाने के लिए, गत्ते को कारागार बनाने के लिए....कहीं हरे रंग का बुरादा तो कही नीले रंग का जिससे की पानी जैसा दिखे..,गेंदे के फूलों से श्रृंगार करना ,छोटे छोटे खर्चों के लिए माँ पिताजी से अनुमति लेना..ये सब सोच के लगता है कि आर्थिक तंगी जरूर थी पर बचपन का अनमोल खजाना था वो आज कल लुप्त होता जा रहा है....शाम को ८ बजे से बहाना मंडली बैठ जाती थी जिसमे हर धर्म के लोग जैसे एक टेलर , एक नाई ,कॉलेज अध्यापक  और पोस्ट मास्टर भी रहते थे ।जब कृष्ण भजन नहीं याद आते तो माँ पिताजी से मासूमियत भरा प्रश्न होता था  ,"क्या किसी और भगवान् का भजन गा सकते हैं?" जवाब मिलता "सब भगवान् एक ही हैं.जो मन हो गा सकते हो ,भगवान् प्रेम और श्रद्धा के भूखे हैं." इस तरह से कृष्ण जन्म संपन्न होता था ,फिर प्रसाद वितरण में फल, पंचामृत,बताशे  और मिष्ठान्न होते थे ..भुलाये नहीं भूलता .।
अब .......
वर्तमान समय में हर त्यौहार की तरह जन्माष्टमी का भी व्यावसायिक रूप हो गया है.,चाहे वो झांकी सजाना हो या दही हांड़ी फोड़ना .भीड़  तो बहुत होती है पर भावनाओं की भीड़ कम होती जा रही है.आज बड़ों के साथ बच्चों के पास भी समय नहीं है आधुनिकता के रंग में रंगे युवा इस ज़श्न का हिस्सा तो बनते हैं पर मन में कृष्ण सन्देश को अंगीकार नहीं कर पाते | वो ये तो देखते हैं की कृष्ण रासलीला करते थे पर उनकी पवित्र बहाना को नहीं देख पाते.....हाँ फेसबुक पर पोस्ट डालना नहीं भूलते...पर उम्मीद है कृष्ण के सन्देश कभी तो उनके दिलों पर दस्तक देंगे., इसी उम्मीद के साथ -------
चन्दन की खुशबू ,रेशम का हार;
भादों की सुगंध , बारिश  की  फुहार ;
दिल की उम्मीदें अपनों का प्यार 
मंगलमय हो आपको ,
श्री  कृष्ण  जन्माष्टमी  का  त्यौहार !!!!!!!!

Sunday, August 5, 2012

मित्रता दिवस के अवसर पे.......


महंगाई में सस्ती दोस्त की वफा-हास्य कविता




आशिक ने अपने दोस्त से कहा
‘‘यार, महंगाई बढ़ गयी है,
माशुका की मांगें पूरी करते करते
जेब कंगाली की सीढ़िया चढ़ रही है,
अब पेट्रोल होता जा रहा है महंगा,
होटलों में बैरे पेश करते हैं महंगे बिल
तब हो जाता है उनसे पंगा,
यह महंगाई तो मोहब्बत को मार डालेगी,
इस संसार में केवल नफरत को ही पालेगी
मुझे अपनी चिंता नहीं
माशुका का ख्याल आता है,
कैसे करेगी मेरे बिना गुजर
यह सोचकर दिल भर आता है।’’

दोस्त ने कहा
‘‘कैसी बात करते हो यार,
अपनी दोस्ती है, न कि व्यापार,
महंगाई में मोहब्बत महंगी हो सकती है
पर दोस्ती कभी नहीं थकती है,
तुम्हारा दर्द सुनकर मेरा दिल भर आया
इतने दिन तुमने क्यों छिपाया,
घबड़ाओ नहीं अपनी माशुका के घर का पता दो,
‘मैं उससे निभाऊंगा’ तुम जाकर उसे अभी बता दो,
जो तुमने उसे ऐश कराए,
मैं उससे ज्यादा कराऊंगा
ताकि उसे तुम्हारी याद न आए,
अरे, वही दोस्त संसार में नाम पाता है,
जो महंगाई में भी दिल के साथ दोस्ती निभाता है।’’
-----दीपक भारतदीप की शब्दलेख-पत्रिका

Friday, August 3, 2012

Stay Beautiful.......


Stay Beautiful
Even if we don’t stay friends
Stay Beautiful
Even if we fall apart
Stay Beautiful
Because you’re going to be someone in life
Stay Beautiful
For me or if not for me
Stay Beautiful
For yourself or for the people you love
Just Stay Beautiful
Because someday you’re going to find the one
You really truly love and she’ll be telling you
To Stay Beautiful too
Stay Beautiful
Because you’re an amazing person and
That’ll never change and
Stay Beautiful
Because you’re one and in a million and
Stay Beautiful
Just to stay the beautiful person
You are today and
Stay Beautiful
Because that’s who you are
You’re Beautiful 
------Hayley Foster
Submitted: Thursday, January 28, 2010

भूल गया है तू अपना पथ,

भूल गया है तू अपना पथ, 
और नहीं पंखों में भी गति, 
किंतु लौटना पीछे पथ पर अरे, मौत से भी है बदतर । 
खग ! उडते रेहना जीवन भर !

मत डर प्रलय झकोरों से तू, 
बढ आशा हलकोरों से तू, 
क्षण में यह अरि-दल मिट जायेगा तेरे पंखों से पिस कर । 
खग ! उडते रेहना जीवन भर !

यदि तू लौट पडेगा थक कर,
अंधड काल बवंडर से डर, 
प्यार तुझे करने वाले ही देखेंगे तुझ को हँस-हँस कर । 
खग ! उडते रेहना जीवन भर !

और मिट गया चलते चलते,
मंजिल पथ तय करते करते, 
तेरी खाक चढाएगा जग उन्नत भाल और आखों पर । 
खग ! उडते रेहना जीवन भर !
-------

गोपालदास "नीरज"

Wednesday, August 1, 2012

.The Elephant And The Fly



A disciple and his teacher was walking through the forest. He asked his teacher, “Why do only a few posses a calm mind?”
The teacher spoke, “An elephant was once picking leaves from a tree. A small fly came buzzing near his ear. The elephant waved it away with long ears. The fly came again, and the elephant waved it away once more. This was repeated many times. The elephant asked the fly: ‘why are u so restless and noisy? Why can’t you stay for a while in one place?’ The fly answered: ‘I am attracted to whatever I see, hear and smell. My five senses, and everything that happens around me, pull me constantly in all directions and I cannot resist them. What is your secret? How can you stay so calm and still?’
The Elephant stopped eating and said: ‘My five senses do not rule my attention. I am in the control of my attention, I can direct it whatever I want. This helps me to get immersed  in whatever I do ,and therefore, my mind is focused and calm. Now that I am eating, I am completely immersed in eating.”
Upon hearing these words, the disciple’s eyes opened wide. He looked at his teacher and said,”I understand! My mind will be in constant unrest if my five senses, are distracting me.On the other hand If I am In the command of my five senses,I can disregard sense impressions, and my mind will be calm.”   “Yes “That’s right. Control your attention ,and you control your mind.”

रक्षा बंधन .......तब और अब ..........

भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना ..
भैया मेरे छोटी बहन को न भुलाना।
ये दिन ये त्यौहार ख़ुशी का ,
पावन जैसे नीर नदी का,
भाई के उजले माथे पे ,
बहन लगाये मंगल टीका ,
झूमे ये सावन सुहाना।

रक्षा बंधन के त्यौहार आते ही ये गाना लबों पे होता था , बचपन से ही मां से सुनती आई थी सुबह होते ही एक उत्साह होता था , तीन दिन पहले ही राखी खरीद लेती थी।  मन में आता था सबसे सुंदर राखी सजे मेरे भाइयों की कलाई पे। नए कपडे पहनने का उत्साह, और जब कभी नए कपडे नहीं मिलते तो माँ  का मजबूरी को इस तरह से समझाना कि पुराने कपड़ों में  भी   इतराना, सब कुछ आनंदित करता था  .......पिताजी बेनीराम की प्रसिद्ध इमरती  लाकर सुबह ही रख देते थे ,माता पिता के आशीर्वाद के बीच रक्षा बंधन संपन्न हो जाता था ....फिर बारी थी उपहार की .......पूछने पर कि "  क्या चाहिए राखी के बदले ?'निस्वार्थ तो नहीं था, पर स्वार्थ भी कैसा था सोच  के गुदगुदी होती है. मासूमियत  भरा जवाब होता था ...". नमकीन काजू  बेनीराम वाला और जयराम  का समोसा... "एक तरफ समोसे काजू में  हम व्यस्त ,तो दूसरी तरफ मिठाई खाने की होड़ दोनों भाइयों के बीच ...कोई किसी से कम नहीं।......अद्भुत नज़ारा होता था।...एक राखी पर एक ज़िद  और बढ़ गयी .फोटो भी खिचवाना था।......रिमझिम फुहारों के बीच उर्मी   स्टूडियो की ये फोटो   है उन पलों की।.....
अब...........
कल फिर रक्षा बंधन है..... ये गीत प्रासंगिक है और दिल गुनगुनाता भी है।
.चंदा रे, मेरे भैया से कहना ,
बहना याद करे .....
अभी बहन पराये देश बसी है....एक साल पहले तक  पोस्ट से ख़त के  साथ राखी भेज देते थे, इस उम्मीद से की राखी से पहले मिल जाये ..पर डाक व्यवस्था  व्यस्तता ,कभी कभी मिली कभी नहीं। मगर अब नेट  है..राखी मिले या नहीं ECARD  FACEBOOK  की वाल पे ज़रूर  हाजिरी देता है .......साथ में  YOU TUBE   के गानेजैसे .......इसके साथ ही बहन के पास एक चेक जरूर आ  जाता है... ......      
खैर ,मेरा ये मतलब नहीं कि आजकल रिश्ते बदल गए हैं ...मेरे उद्देश्य सिर्फ अतीत की एक झलक प्रस्तुत करना है जिससे हमारी भावी पीढ़ी आनंद ले सके ,साथ ही हम आज की इस तकनीकी युग के माध्यम से नयी पीढ़ी से जुड़ सकें क्योंकि .......
परिवर्तन ही  प्रकृति का नियम है इसे अंगीकार करना हमारा फ़र्ज़ है.......
आइये , इस पवन पर्व पर अपने भाइयों के लिए मंगल कामना करे,क्योंकिआपभी तो सहमत होंगे निम्न पंक्तियों से ........ 
मेरे भैया मेरे चंदा ,मेरे अनमोल रतन ,
तेरे बदले में  ज़माने की कोई चीज न लूँ ....
Happy Raksha Bandhan!!!!!!!!!!!!!!!!!!


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