Thursday, December 29, 2011

एक पत्र नव वर्ष के नाम.........

आते आते तुम भी कहीं हो जाओ न बदनाम ,
एक पत्र लिखता हूँ नव वर्ष तुम्हारे नाम |
चंपा बेला औ गुलाब के ज़ख्मी बदन हुए,
मौसम के बदले मिजाज़ से कांटे मगन हुए |
नहीं है किस्मत में फूलों के वह छावं ,
नागफनी ने जमा लिए हैं फुलवारी में पाँव |
इस युग के पंछी का जीना हुआ हराम ,
एक पत्र लिखता हूँ नव वर्ष तुम्हारे नाम |

फूल से चेहरे लेकर आते हैं बस्ती में पत्थर,
और मोहफ्हीज़ बनकर जाते हैं शीशों के घर घर |
देख के सारी लीला दर्पण काँप रहा है थर थर ,
राज खुला इनका तो ये वार करेंगे उनपर|.
आज हमारे शहर में मचने वाला है कुहराम ,
एक पत्र लिखता हूँ नव वर्ष तुम्हारे नाम |

प्यार से अपनी गोद में लेकर जिसका रूप निखारे,
जिसकी जिद में थाली पे भी सूरज चाँद उतारे |
आज वही बेटा माँ दामन पे दाग लगाये,
भाषा और मजहब के नाम पे खंजर रोज़ चलाये |
प्यारी माँ का आँचल यहाँ पर होता है नीलाम,

एक पत्र लिखता हूँ नव वर्ष तुम्हारे नाम ........




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