Sunday, January 22, 2012

सुप्रभात ........

सुप्रभात .....
...नयन से नयन का नमन हो रहा है,
लो उषा का आगमन हो रहा है;
परत पर परत चांदनी कट रही है ,
तभी तो निशा का गमन हो रहा है ;
छितिज पर अभी भी हैं अलसाए सपने,
पलक खोल कर भी शयन हो रहा है;
झरोखों से प्राची कि पहली किरण का,
लहर से प्रथम आचमन हो रहा है......
वहीँ शाख पर हैं पंछियों का कलरव'
प्रभाती सा लेकिन सहन हो रहा है;
बही जा रही है जिस तरह से अरुणिमा ,
है लगता कहीं पर हवन हो रहा है..
मधुर मुक्त आभा, सुगन्धित पवन है;
नए दिन का कैसा सृजन हो रहा है......
      - डॉक्टर प्रभाकर शुक्ल 

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