Thursday, October 6, 2011

शुभता का प्रतीक है नीलकंठ ........

आज दशहरा है .........याद आता है जब बचपन में पिताजी ने बताया था कि विजयदशमी के दिन नीलकंठ को देखना बहुत ही शुभ संकेत होता है .हम सभी तैयार हो कर उनके साथ चल देते थे नीलकंठ को देखने.बाल मन शुभ -अशुभ कुछ नहीं जनता था पर नीलकंठ पक्षी को देखने को आतुर था.सड़क पर हर तरफ चलते हुए बस कोई भी पक्षी दिखता लगता था कि  बस नीलकंठ ही है. यदा कदा ही नीलकंठ जी के दर्शनं होते थे.कई बार ऐसा भी हुआ कि मन निराश हो जाता कि इस बार नीलकंठ नहीं दिखे तो दशहरा व्यर्थ हो गया.ऐसे में पिताजी हमारा मन रखने के लिए कह देते ,'' अरे तुम लोग व्यर्थ परेशान हो ,नीलकंठ देखो वो रहा!!!!"जब तक हम उधर देखते ,वहां कुछ नहीं ..फिर पिताजी कहते ",तुमने याद किया था ना. अभी आया था पर जल्दी उड़ गया.. सानिध्य तो  मिला ......वो क्या कम है?"

नीलकंठ तुम नीले रहियो, दूध-भात का भोजन करियो, हमरी बात राम से कहियो', इस लोकोक्त‍ि के अनुसार नीलकंठ पक्षी को भगवान का प्रतिनिधि माना गया है। दशहरा पर्व पर इस पक्षी के दर्शन को शुभ और भाग्य को जगाने वाला माना जाता है। जिसके चलते दशहरे के दिन हर व्यक्ति इसी आस में छत पर जाकर आकाश को निहारता है कि उन्हें नीलकंठ पक्षी के दर्शन हो जाएँ। ताकि साल भर उनके यहाँ शुभ कार्य का सिलसिला चलता रहे..
आज के परिपेक्ष्य  में  ना वो खुला स्थान बचा है, औरे ना ही बच्चों के पास वक़्त  जो नीलकंठ को  खोजते रहे.सच कहे तो आज हम अभिभावकों के पास भी इतना वक़्त कहाँ रह गया जो बच्चों के लिए.कोई बात नहीं कम से कम नेट पर  तो नीलकंठ  के दर्शन कर ही सकते हैं.नीलकंठ को भगवान् शिवजी का अवतार  मानते है.और शिवजी तथा श्रीराम का प्रेम जग जाहिर है, जिसके चलते हर व्यक्ति इसी आस में चाट पे जाकर  आकाश को निहारता है ताकि नील कंठ के दर्शन हो जाये..
वैसे आज की सच्चाई  तो ये है की नीलकंठ की प्रजाति भी लुप्त होती जा रही है ,पर मन में विश्वास है तो नील कंठ का दर्शन क्या पता आज हो ही जाये................आखिर विश्वाश पर तो दुनिया  कायम है...






आप सभी को दशहरा की हार्दिक बधाई !!!!!!!!!!!

1 comment:

  1. वाह , बचपन कितना निर्द्वंद होता है जब हमे हमारे बड़े सिखाते हैं और हम सीखते हुए बड़े होते हैं |

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