Wednesday, June 6, 2012

हिंदी सिनेमा के सौ साल .....

सौ साल के कुछ हिट संवाद ...........
देवदास 
"कौन कहता है की मैं बर्दाश्त करने के लिए पीता हूँ ,मैं तो पीता हूँ कि जिससे मैं सांस ले सकूं।" (दिलीप कुमार )





वक्त 
चिनॉय सेठ , जिनके घर शीशे के हो , वो दूसरों घर पत्थर नहीं फेका करते .....(राजकुमार )






पाकीज़ा 

"आपके पाँव देखे बहुत हसीं हैं , इन्हें जमीन पर मत उतारियेगा ,मैले हो जायेंगे ..."र (राजकुमार )




शोले 
"तेरा क्या होगा कालिया?"                     (अमजद खान )







दीवार

"मेरे पास माँ  है।......."     (शशि कपूर )








कालीचरण
'"सारा संसार मुझे लायन के नाम से जानता है "(अजीत )







शहंशाह
"रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं नाम है शहंशाह ..".(अमिताभ बच्चन )








डान

"डान को पकड़ना मुश्किल ही नहीं ,नामुमकिन है "   .(अमिताभ बच्चन )



दामिनी
"जब ये ढाई किलो हाथ किसी पे पड़ता है तो आदमी उठता नहीं ,उठ जाता है।" (सन्नी देओल )




मि. इंडिया
"मोगाम्बो खुश हुआ।." (अमरीश पुरी )







शान
"मैं शाकाल हूँ .."  (कुलभूषण खरबंदा)










विश्वनाथ
"जली को आग  कहते हैं बुझी  को राख कटे हैं,उससे जो बारूद निकले उसे विश्वनाथ कहते हैं.(शत्रुघ्न सिन्हा )









हिंदी सिनेमा के 100 साल पूरे  होने जा रहे हैं ,आज एक मुकाम पे पहुच चुका हैहिंदी सिनेमा .. .....सलाम करते हैं हम अब तक की उपलब्धियों को ..........

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