Sunday, May 12, 2013

ममता भरी छावं .....

मानवता का पहला अक्षर ही तो मां है। मां के रहते मानवता का पाठ पढ़ने के लिए किसी ग्रंथ की जरूरत नहीं है। मां का कोई विकल्प नहीं है, मां बस मां है, लेकिन आज संस्कृति व संस्कारों में हो रहे बदलाव से मां का स्वरूप अछूता नहीं है


कोख से जन्म दे, ये संसार दिखाया,
रातों भर जग, सुखे बिस्तर पर सुलाया
हर मोड पर कच्चे घडे की तरह,
हाथों का सहारा दे मजबूत बनना सिखाया
ममता भरी छाव में, हाथ थामे मेरा,
चलना सिखाया, पढना सिखाया
 टेढे-मेढे रास्तो की डगर से बचाकर,
जीवन के सफर में आगे बढना सिखाया
प्यार कर दुलार कर सच का पाठ पढाया
मुश्किलों से निपट, निडर बनना सिखाया


चलना सिखाया, पढना सिखाया
पैरों पर खडा कर जूझना सिखाया
सिचिंत कर मेरी गृहस्थि, नया घरौदा बसाया
उतार सकती नही, हे मा तेरा ये कर्ज
चाहे क्यों न लें लू धरती पर हजारो जन्म
ममता भरी छाव में हाथ थामे मेरा
चलना सिखाया पढना सिखाया.....

बचपन मे आपसे सुने कुछ गाने हमेशा प्रेरणा देते रहे..जैसे ,
दुनिया में हम आये हैं तो जीना ही पड़ेगा ..
दुःख भरे दिन बीते रे भैया.
औरत ने जनम  दिया मर्दों को ..
मुझको आता हुआ देख कर चिड़िया क्यों उड़ जाती हैं.

कुछ हँसाने वाले गाने भी..

अपलम चपलम चपलाई रे ..
जहाँ मैं जाती हूँ वहीँ चले आते हो ..
मेरे पिया गए रंगून.

कुछ आपके गए भजन .
.
भय प्रगट कृपाला दींन दयाला ...
श्री राम चन्द्र कृपालु ..
नमामीशमीशान...
नमामि भक्तवत्सलं ...
आपकी आवाज़ की मिठासआज भी ह्रदय को झंकृत करती  है मां!!
सोचती हूँ जैसे मेरा भविष्य ही आपने अपनी दूरदर्शिता से देखा था..जो कुछ भी हूँ अगर आपने साथ न दिया होता तो ज़िन्दगी इतनी आसान नहीं थी..इस ऋण को ऊतार तो नहीं सकती,पर ईश्वर से दुआ करती हूँ कि,'
फूलों की हर कली खुशबु दे आपको ,
सूरज की हर किरण रौशनी दे आपको ,
हम तो कुछ देने के काबिल नहीं ,
देने वाला हर ख़ुशी दे आपको ..


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