Wednesday, August 15, 2012

स्वतंत्रता दिवस तब .........और अब........



"जहाँ  डाल डाल पर सोने की चिड़िया करती हैं बसेरा ,
वो भारत देश है मेरा !!!!!!!!"
स्कूलों  में तब ऐसे ही गाने गूंजते थे ,तैयारियां तो तब भी होती थी तिरंगा बनाओ प्रतियोगिता, या फैंसी  ड्रेस प्रतियोगिता और सेनिओर कक्षाओं  में भाषण प्रतियोगिताये आयोजी की जाती थी .....
सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत प्रद्व्शों के लोक गीत या देशभक्ति गीत अभिनीत किये जाते थे..याद आता है जनक कुमारी बाल शिक्षा निकेतन का एक प्रोग्राम जिसमे गाने लिकेह थे प्रिंसिपल ने खुद और गया था अध्यापिकाओं ने तथा अभिनीत किया था बच्चों ने ........प्रदेशों का परिचय दिया गया था सरल भाषा मे., कुछ आज भी याद है जैसे .

संसार में जिस रूप में भारत का देश है ,
भारत का ह्रदय प्यारा उत्तरप्रदेश है|

वीरों की ये जन्मभूमि है प्यारा  राजस्थान है ,
जिन वीरों ने देश की खातिर दे दी अपनी जान है |

भारत का सिरमौर सुघर कश्मीर हमारा ,
धरती का ये स्वर्ग मनोहर सबसे न्यारा |

एन. सी. सी. कैडेट्स  की रैली  शहर में निकलती थी .........काफी उत्साह होता था स्कूल जाने का क्योंकि बैग नहीं ले जाना होता था और जल्दी छुट्टी होती थी साथ ही लड्डू भी मिलता था ..
अब.......
आज १५ अगस्त नयी और आधुनिक तकनीक के साथ मनाया जाता है..आज बदलाव स्चूलों में भी है बच्चों की भावनाओं में भी है.एआर . रहमान के गानों पर या आधुनिक धुनों पर स्टेज कार्यक्रम होतें हैं. हाँ एक अंतर महसूस होता है.|
आज बहुत सारी सुविधाएँ हैं बच्चे भी काफी प्रतिभावान है पर कभी कभी महसूस होता है यांत्रिक ज्यादा हो गए हैं जिसके फलस्वरूप भावनाएं दब गयी हैं..इन्टरनेट पे जानकारी तो सब कुछ उपलब्ध है पर माता पिता या बड़ों से वो सवाल पूछने का जो आनंद था वो आनंद नहीं उठा पाते| बदलाव जो आ रहा है.उसका असर उनकी निराशावादी विचारधारा में दीखता है भारत में उने भविष्य कम दीखता है 
आज आतंकवाद, भ्रष्टाचार  महंगाई से देश जूझ रहा है ऐसे में भावी पीढ़ी का मार्गदर्शन करना वर्तमान पीढ़ी का कर्त्तव्य है.,जिसे अनदेखा  नहीं किया जा सकता .....जय हिंद !

आजाद की कभी शाम नहीं होने देंगें;
शहीदों की कुर्बानी बदनाम नहीं होने देंगें;
बची हो जो एक बूंद भी गरम लहू की;
तब तक भारत माता का आँचल नीलाम नहीं होने देंगें!
स्वतंत्रता दिवस की सभी को बधाई!




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