Friday, August 10, 2012

जन्माष्टमी तब और अब .......

श्री राधे गोविंदा मन भज ले हरि  का प्यारा नाम है ......हरी ॐशरणजी के भजन से बहुत लगावथा जन्माष्टमी के 4-5 दिन पहले ही तैयारियां करना शुरू करदेते थे .......कृष्णजी जी  की तस्वीर के लिए गीताप्रेस गोरखपुर की प्रकाशित मैगजीन कल्याण से मदद ली  जाती थी,ढेर सारे गत्ते इकट्ठे करते थे ,लकड़ी का बुरादा जुटाना ,फिर छोटे छोटे खिलोने संग्रह करना इत्यादि ........काफी उत्साह होता था .....हम लोगो का साथ देने के लिए शमशाद भी तो था ...जिसे कृष्ण के बारे जानकारी ज्यादा नहीं थी ..शमशाद के पिता जी का स्वर्गवास हो गया था..अपने परिवार का गुजरा उसी की तनख्वाह से होता था ४-भाई बहन थे.,विधवा मां थी ...पिताजी को व्यवसाय में मदद करता था उम्र थी करीब १२-१३ साल ..घर के सदस्य जैसा हो गया था...उसको भी सब पता था किस सामन का कहाँ और कैसे झांकी में इस्तेमाल करना है ..बुरादा सड़क बनाने के लिए, गत्ते को कारागार बनाने के लिए....कहीं हरे रंग का बुरादा तो कही नीले रंग का जिससे की पानी जैसा दिखे..,गेंदे के फूलों से श्रृंगार करना ,छोटे छोटे खर्चों के लिए माँ पिताजी से अनुमति लेना..ये सब सोच के लगता है कि आर्थिक तंगी जरूर थी पर बचपन का अनमोल खजाना था वो आज कल लुप्त होता जा रहा है....शाम को ८ बजे से बहाना मंडली बैठ जाती थी जिसमे हर धर्म के लोग जैसे एक टेलर , एक नाई ,कॉलेज अध्यापक  और पोस्ट मास्टर भी रहते थे ।जब कृष्ण भजन नहीं याद आते तो माँ पिताजी से मासूमियत भरा प्रश्न होता था  ,"क्या किसी और भगवान् का भजन गा सकते हैं?" जवाब मिलता "सब भगवान् एक ही हैं.जो मन हो गा सकते हो ,भगवान् प्रेम और श्रद्धा के भूखे हैं." इस तरह से कृष्ण जन्म संपन्न होता था ,फिर प्रसाद वितरण में फल, पंचामृत,बताशे  और मिष्ठान्न होते थे ..भुलाये नहीं भूलता .।
अब .......
वर्तमान समय में हर त्यौहार की तरह जन्माष्टमी का भी व्यावसायिक रूप हो गया है.,चाहे वो झांकी सजाना हो या दही हांड़ी फोड़ना .भीड़  तो बहुत होती है पर भावनाओं की भीड़ कम होती जा रही है.आज बड़ों के साथ बच्चों के पास भी समय नहीं है आधुनिकता के रंग में रंगे युवा इस ज़श्न का हिस्सा तो बनते हैं पर मन में कृष्ण सन्देश को अंगीकार नहीं कर पाते | वो ये तो देखते हैं की कृष्ण रासलीला करते थे पर उनकी पवित्र बहाना को नहीं देख पाते.....हाँ फेसबुक पर पोस्ट डालना नहीं भूलते...पर उम्मीद है कृष्ण के सन्देश कभी तो उनके दिलों पर दस्तक देंगे., इसी उम्मीद के साथ -------
चन्दन की खुशबू ,रेशम का हार;
भादों की सुगंध , बारिश  की  फुहार ;
दिल की उम्मीदें अपनों का प्यार 
मंगलमय हो आपको ,
श्री  कृष्ण  जन्माष्टमी  का  त्यौहार !!!!!!!!

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